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यक्ष प्रश्न भाग 1

1 . स्क्रीन की दुनिया 


सीता कबसे फोन मिला रही थी भारती को लेकिन उसका फोन या तो बिजी आता था या स्विच ऑफ । तीन चार दिन हो गए उसको प्रयास करते करते लेकिन कमबख्त फोन था कि लगने का नाम ही नहीं ले रहा था । कभी कभी तो लगता था कि इस फोन में ही कुछ गड़बड़ है वरना और क्या बात हो सकती है ।  लेकिन एक बात यह भी थी कि इस फोन पर औरों के फोन आ भी रहे थे और वह दूसरों को फोन कर भी रही थी । इसलिए फोन में गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं थी।

वह मन में सोचने लगी कि और क्या बात हो सकती है ? ये माना कि भारती आज बॉलीवुड की नंबर एक की अभिनेत्री है पर है तो उसके शहर की ही ना । क्या वो इतना व्यस्त रहती है कि उसे फोन उठाने की  फुर्सत ही ना मिले ? अभी थोड़े दिन पहले जब वो अपने शहर में किसी कार्यक्रम में आई थी तो कितने प्यार से मिली थी सबसे । तब सीता ने उससे अपने मन की बात भी कह‌ दी थी कि वह भी भारती जैसी सुपर डुपर हिट अभिनेत्री बनना चाहती है । तब भारती उसकी इच्छा जानकर कितनी खुश हुई थी और उसने वादा भी किया था कि वह सीता की मदद अवश्य करेगी ।

लेकिन यहां तो फोन पर बात करना ही मुश्किल हो रहा है , मदद क्या खाक करेगी ? सीता के मन में भारती के लिए आक्रोश आने लगा । अगर भारती अपने गांव की नहीं होती तो अब तक वह गालियों की बौछार कर चुकी होती । पर क्या है ना कि गांव की इज्जत का मसला जो था । यदि भारती को गालियां देती तो गांव की इज्जत खराब नहीं होती । इसलिए उसने गांव की इज्जत बचाने के लिए भारतीय को गाली नहीं देकर बड़ा अहसान किया था ।

सीता मन ही मन भुनभुना रही थी कि इतने में फोन की घंटी घनघना उठी । अजनबी नंबर से फोन था । सामान्यतः वह अजनबी नंबर के फोन उठाती नहीं थी पर आज वह गुस्से में भरी बैठी थी और अपना सारा गुस्सा उस पर उडेला चाहती थी । इसलिए अजनबी नंबर वाला फोन भी उसने उठा लिया । उधर से भारती की आवाज सुनकर वह उछल पड़ी । उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि भारती ने खुद उसे फोन किया है । भारती शायद ज्यादा व्यस्त थी इसलिए भारती ने इतना ही कहा कि उसका एक एक मिनट करोड़ों रुपए का होता है । इसलिए वह उससे ज्यादा बात नहीं कर सकती है । भारती ने सीता को अपनी पर्सनल सैकेट्री की पर्सनल सैकेट्री का मोबाइल नंबर दे दिया और कहा कि वह उससे बात कर मुंबई आने का प्लान बना ले , फिर यहां पर उसे किसी फिल्म में काम दिलवा देगी वह । 

यह सुनकर सीता की तो बाछें ही खिल गई । उसे लगा कि उसकी प्रार्थना भगवान ने सुन ली है और अब वह भी भारती जैसी मशहूर नायिका बन ‌सकती है । वह सपनों की दुनिया में बिना पंखों के ही उड़ने लगी । वह ख्वाबों की दुनिया में खो गई ।

उसे याद आने लगा कि जब वह पहली कक्षा में थी तो उसकी  अध्यापिका बॉलीवुड की नंबर एक अभिनेत्री भारती का मशहूर गाना "एक दो तीन चार पांच छः सात आठ नौ दस ग्यारहा बारह तेरहा " गा गाकर गिनती सिखाती थी । राजा बाबू फिल्म के गीत" अ आ इ ई उ ऊ ओ , मेरा दिल ना तोड़ो"  जो महान कलाकार गोविंदा पर फिल्माया गया है , से अक्षर ज्ञान कराया गया था और "हम साथ साथ हैं" फिल्म के गीत "ABCDEFG "के द्वारा उसे abcd वगैरह सिखायी गई थी । बात बात पर फिल्मी डायलॉग बोले जाते थे उसके साथियों द्वारा ।  इसी कारण उसका रुझान फिल्मों की तरफ हो गया था और इसी कारण वह फिल्मी हीरोइन बनना चाहती थी। 

एक बार उसने " मैं बनूंगी अभिनेत्री " प्रतियोगिता में भी भाग लिया था । यद्यपि उसका प्रदर्शन काबिले तारीफ था लेकिन वह विजेता नहीं बन सकीं थी । पर उसने हिम्मत नहीं हारी थी । मखर आज भारती के फोन से उसे विश्वास हो गया था कि वह जल्दी ही एक मशहूर हीरोइन बन जायेगी । 

उसने मुंबई जाने का कार्यक्रम निश्चित कर लिया । उसके माता-पिता ने मुंबई जाने के लिए बहुत मना किया लेकिन उस पर तो धुन सवार थी , इसलिए रुकती कैसे ? एक दिन मौका पाकर चोरी चोरी कुछ रुपए लेकर वह मुंबई आ गयी । 
चूंकि मुंबई में वह किसी और को जानती ही नहीं थी इसलिए वह भारती की पर्सनल सैकेट्री की पर्सनल सैकेट्री से मिली । खूब आदर सत्कार किया उसने सीता का । सीता उसके व्यवहार से गदगद हो गई  थी । सीता ने मुंबई आने का अपना प्रयोजन बताया और भारती से मिलने की इच्छा व्यक्त की । इस पर उसने बताया कि भारती मैम से मिलना अभी संभव नहीं है , लेकिन उनकी पर्सनल सैकेट्री  से चार पांच दिन बाद मुलाकात संभव हो सकती है । 

यह बात सुनकर सीता को बड़ा विस्मय हुआ ।  सीता को इस बात का आश्चर्य हो रहा था कि भारती से मिलने का तो कुछ पता ही नहीं , उसकी सैक्रेटरी से मिलने में भी चार पांच दिन का वक्त लगेगा । उसको आश्चर्य तो बहुत हो रहा था लेकिन उसकी बोलने की हिम्मत नहीं हुई ।

सीता को भारती ने अपने गैस्ट हाउस में ठहरा दिया था । सीता दूसरे दिन "मिस ओसम " भारती की पी एस " मिस गोजोब" की पी एस से मिली । मिस ओसम ने कहा कि भारती मैडम के कहने से मिस गोजोब ने अपने आज के दो अपोइंटमेंट तुम्हारे लिए कैंसिल कर दिये हैं और तुमको चार बजे का टाइम दिया है मिलने के लिए । तुभसे मिलाने के लिए उन्होंने एक दो निर्देशक , निर्माता , फोटोग्राफर्स को भी बुला लिया है । बिल्कुल टाइम से पहुंच जाना । ठीक है ? अच्छा , अब तुम अच्छे से तैयार हो लो । 

इतना कहकर उसने सीता को अपने पर्सनल चैंबर के भी पर्सनल रूम में भेज दिया । वहां पर एक ब्यूटीशियन पहले से ही मौजूद थीं । सीता को यह सब देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा था । दो घंटे में सीता तैयार होकर मिस ओसम के पास आ गई । मेकअप के बाद उसकी खूबसूरती और निखर आई थी ।

मिस गोजोब का नाम उसे बड़ अटपटा सा लग रहा था । उसने ऐसे नाम पहली बार सुने थे ।  इसलिए उसने डरते डरते मिस ओसम से पूछ ही लिया कि मिस गोजोब नाम कैसे पड़ा उनका ? मिस ओसम बोली
"मिस गोजोब का मूल नाम मंजुलिका था । लेकिन जब से फिल्म भूल-भुलैया आई है तब से मंजुलिका नाम बहुत  डरावना लगने लगा था । मिस गोजोब जब पहली बार मैडम से मिलीं तो उन्होंने उनकी चमत्कारिक प्रतिभा देखकर उसका नाम मिस गजब रख दिया । चूंकि वो बंगाली हैं ना इसलिए गजब को गोजोब बोलती है । इसलिए सभी लोग भी उन्हें मिस गोजोब ही कहने लगे । और इतना कहकर मिस ओसम खूब हंसीं । इतनी देर में मिस गोजोब ने सीता को अपने पास बुलवा लिया । 

जैसे ही सीता मिस गोजोब के चैंबर में पहुंची वहां पर आठ दस लोग सोफों पर पसरे पड़े थे और टेबल पर शराब के खूब सारे जाम रखे हुए थे । सीता ने पहले कभी शराब देखी ही नहीं थी इसलिए शराब की बदबू से उसे चक्कर से आने लगे । बड़ी मुश्किल से वह खुद को संभाल कर सोफे पर बैठी । 

मिस गोजोब ने उसका परिचय वहां पर बैठे हुए सब लोगों से करवाया और बात बात पर कहा कि सीता मैडम भारती के गांव की हैं और मैडम की खास मेहमान हैं । इसलिए वह हमारे लिए बहुत वी आई पी हैं । मिस गोजोब ने सीता का परिचय उन सब गणमान्य अतिथियों से करवाया  गया ।

एक किन्नर जैसे दिखने वाले निर्देशक ने उससे कहा
"देखिए मिस सीता , ये आपका नाम बहुत पुराना है । इट इज वैरी ओल्ड नेम एंड वैरी डिस्गस्टिंग । इट इज  आउट आफ फैशन एण्ड वैरी कम्युनल । ये नाम यहां नहीं चलेगा । अरे भई हमें कोई रामायण, महाभारत जैसे धार्मिक सीरियल थोड़े ही बनाने हैं । हम तो रोमांस वाली, छेड़छाड़ वाली हलकी फुलकी फिल्म बनाते हैं जो जनता को पसंद आये । ऐसी फिल्मों की नायिका के लिए कोई मॉडर्न सा नाम जैसे नायरा,  मायरा,  समायरा या इसी तरह का नाम रखना होगा । समझ गई ना" ?

उसकी बात सुनकर सीता एकदम से चौंकी । घरवालों ने उसका नाम कितना अच्छा सा रखा था " सीता" । रामायण की सीता । एक आदर्श स्त्री । एक आदर्श पत्नी । एक आदर्श बहू । इनको यह नाम ओल्ड , कम्युनल और डिस्गस्टिंग  लग रहे है । उसका माथा घूम गया यह सुनकर । कैसा जमाना आ गया है , वह सोचने लगी ।

मोटा और हब्शी जैसा दिखने वाला दूसरा निर्देशक उसके पास ही सोफे पर पसरा पड़ा था । उसने बड़ी कामुक निगाहों से उसे देखते हुए उससे उसके फिगर का साइज़ पूछा तो वह उछल पड़ी ।
"ये क्या बकवास है" ? वह गुस्से से चीखी

उसके इस तरह के व्यवहार से सभी लोग जोरों से हंस पड़े । हंसते हंसते वे दोसरे हो गये थे । बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर काबू करते हुए कहने लगे 
"मिस गोजोब, किस जू से पकड़ कर लाई हो इस नमूने को" ? और वे सीता को देखकर फिर से हंसने लगे । इससे सीता एकदम से सहम सी गई थी ।

उनको हरकतों से सीता को अपनी बहुत इंसल्ट लग रही थी । लेकिन वह कर भी क्या सकती थी । उसे तो अभिनेत्री बनना था इसलिए उसे वह सब करना होगा जो वो चाहेंगे । उसने गर्दन नीची कर अपना फिगर बता दिया । वहां पर बैठे एक फोटोग्राफर ने कहा
"मैडम , कोई बिकनी में फोटो है क्या आपकी" ? 
अब तो सीता को काटो तो खून नहीं । उसने मना कर दिया तो वह बोला कि कौन जमाने का पीस लेकर आईं हो मिस गोजोब । और उसनेे अपनी पेंट की जेब से एक टू पीस बिकनी निकाल कर उसे दे दी और कहा कि जाओ, और इसे पहन कर आ जाओ ।  बिकनी से आपके फिगर का पता चल जाएगा ।
सीता को यह नागवार लगा । उसने प्रतिवाद किया कि वह कोई मॉडल बनने नहीं , बल्कि अभिनेत्री बनने आई है । इस पर किन्नर निर्देशक ने कहा
"मैडम ये चकाचौंध का बाजार है । यहां पर तो वही माल बिकता है जो सबको दिखता है । इसलिए सबको 'फिगर' दिखाना तो पड़ेगा"  

इस संबंध में सीता सोच ही रही थी कि वह क्या करे ? इतने में हब्शी निर्देशक ने पूछ लिया
"अंडरवर्ल्ड के किसी भाई को जानती हो क्या " ? 

सीता ने तो अंडरवर्ल्ड का नाम आज पहली बार ही सुना था इसलिए वह कुछ जानती ही नहीं थी तो बोलती कैसे ? जब वह कुछ भी नहीं बोली तो उस निर्देशक ने कहा
"मिस , ये बॉलीवुड है । यहां पर जब तक अंडरवर्ल्ड का हाथ कैसी के सिर पर ना हो तो उसका कुछ नहीं हो सकता है। अंडरवर्ल्ड की कृपा हो तो अंधा देख लेता है, लंगड़ा चल लेता है और बहरा सुनता है । अरे , अपना वो हकला है ना, उसे बॉलीवुड का किंग किसने बनाया ? इसी अंडरवर्ल्ड ने और किसने ? और वो ठिगना है ना , उसे कंप्लीट किसने बनाया ? इसी अंडरवर्ल्ड ने । और वो अपना चिकना है ना जिसे ना एक्टिंग आती है ना डांस लेकिन यहां 'भाईजान' बना हुआ है । वह भी इसी अंडरवर्ल्ड की मेहरबानी से ही यहां तक पहुंचा  है ।

इतना तमाशा देखने के बाद सीता की आंखों में आंसू आ गए । ये आंसू नारी के अपमान के थे, बेबसी के थे, शोषण के थे हताशा के थे, वह समझ नहीं सकी । अभी शायद उसकी परीक्षा पूरी नहीं हुई थी इसलिए  एक लंगूर की शक्ल वाले निर्माता ने उससे पूछ लिया
"मिस सीता , कास्टिंग काउच का नाम सुना है कि नहीं आपने" ? 
सीता ने यह शब्द आज पहली बार ही सुना था इसलिए उसने अपनी गर्दन इनकार में हिला दी । उसके इस तरह गर्दन हिलाने पर सब लोग खूब जोर जोर से हंस पड़े। उन्होंने आगे कहा
"मिस गोजोब, इन्हें समझाओ जरा कास्टिंग काउच के बारे में" ।

अब तक मिस गोजोब खामोश थी लेकिन उनकी हंसी में उनका साथ दे रही थी । मिस गोजोब ने कहा
"सीता, यहां ऐसा रिवाज है कि फिल्म में काम करने के लिए  पहले फिल्म की यूनिट के सभी मैंबर्स के साथ कम से कम एक एक रात गुजारनी होगी उसको । उसके बाद काम मिलेगा"

इतना सुनना था कि सीता का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा । उसे "मायानगरी" की झूठी चकाचौंध के पीछे का कलुषित "सत्य" पता चल गया था । अब उसका वहां पर दम घुटने लगा था । सीता झटके से खड़ी हो गई और अपने कानों पर हाथ रखकर जोर से चिल्ला पड़ी 

" नहीं " 

और वह वहां से भागकर सीधे अपने घर वापस आ गई । उसे इस मायानगरी की हकीकत ज्ञात हो चुकी थी । स्क्रीन के पीछे कैसे कैसे जहरीले चेहरे छिपे हुए हैं उसे अब यह मालूम चल चुका था ।  अब उसे पता चल गया था कि उसने घर से भागकर कितनी बड़ी गलती कर दी थी । उसने अपनी गुस्ताखियों के लिए अपने मां बाप से माफी मांगी । हीरोइन बनने का भूत उसके सिर से उतर चुका था । अब उसे अपने परिवार को संभालना था ।  अभिनेत्री बनने का ख्वाब उसने अब डस्टबिन में फेंक दिया । अब उसके चेहरे पर आत्मसम्मान की कांति छा रही थी


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7 Comments

Chetna swrnkar

18-Jul-2022 12:16 PM

सच से रूबरू कराती है आपकी रचना 👌

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Abhinav ji

16-Jul-2022 09:43 AM

Very nice👍

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shweta soni

08-Jul-2022 11:37 PM

बहुत ही अच्छी रचना 👌👌👌

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